प्रिये प्रवेशार्थीकिसी विद्वान ने सत्य ही कहा हैं कि किसी देश की समृद्धि के मानक वहां के बैंक नहीं अपितु विद्यालय होते है । महाविद्यालय केवल ईट और सीमेन्ट से बना विशाल भवन ही नहीं होता , वरन , उसकी आत्मा होती हैं वहाँ की शिक्षा , वहां का अनुशासन ही सफलता की कुंजी हैं । भविष्य में जीवन के ऊबड़ -खाबड़ पथ को अनुशासन ही समतल बनाएगा , सफलता दिलाएगा और निश्चिन्त भी बनाएगा । यह समय आपके जीवन का स्वर्णकाल हैं तथा आपके जीवन -पथ के निर्माण का पावन अवसर हैं । यदि इसे सार्थक न कर सके तो जीवन भर पश्चाताप ही रहेगा । इस सुअवसर को हाथ से न जाने दे । आपका भविष्य बनेगा , आपके महाविद्यालय का नाम होगा । यह महाविद्यालय आपका हैं । इसकी कीर्तिपताका आपके हाथो में हैं । आपकी सफलता के लिए हैं । आपके विद्वान प्राध्यापक एवं महाविद्यालय का विशाल पुस्तकालय तथा वाचनालय , जहाँ आपके ज्ञानार्जन हेतु प्रचुर मात्रा में समाचार पत्र , पत्रिकाए शोध पत्रिकाए एवं महत्वपूर्ण ग्रन्थ उपलब्ध हैं । मुझे अतीव प्रसन्नता की अनुभूति हो रही हैं कि ज्ञान -पिपाशा और उत्तम नागरिक बनने की उत्कट अभिलाषा से प्रेरित होकर आप इस शिक्षा संस्थान में प्रवेश हेतु अग्रसर हुए हैं । सरस्वती की आराधना द्वारा अपनी आराधना निर्विध्न और सफलतापूर्वक पूर्ण कर अपने लक्ष्य को प्राप्त करे । वास्तव में शिक्षा का उद्देशय मात्र जानकारी देना नहीं हैं अपितु चरित एवं व्यक्तित्व का निर्माण हैं । एक जिम्मेदार नागरिक के निर्माण का माध्यम मात्र शिक्षा ही हैं । किसी देश या समाज की उन्नति , उत्कृष्ट चरित्र एवं व्यक्तित्व के नागरिको के बिना सम्भव नहीं हैं | महाविद्यालय को शिक्षा का मन्दिर समझते हुए नागरिको सोद्देश्य परिश्रम से अपने सुखद भविष्य की रचना कर सकते हैं । इस विद्या मन्दिर की पवित्रता आपके जीवन की पवित्रता से जुडी हैं | Next>> website:- www.harsahaipgcollege.com
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